बलौदाबाजार उपजेल में कैदी की मौत पर बवाल: परिजनों का आरोप – पुलिस की पिटाई से गई जान, डॉक्टरी जांच भी सवालों के घेरे में
बलौदाबाजार उपजेल में बंद कैदी उमेंद्र बघेल की इलाज के दौरान मौत ने प्रशासनिक तंत्र की पारदर्शिता पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। मृतक के परिजनों ने पुलिस व जेल प्रशासन पर मारपीट और लापरवाही का गंभीर आरोप लगाया है, वहीं ग्राम खैरी में बार-बार हो रही पुलिस कार्रवाई पर भी स्थानीय जनता आक्रोशित है।
गिरफ्तारी, अस्पताल और फिर मौत
8 जून को पलारी थाना पुलिस ने खैरी निवासी उमेंद्र बघेल को शराब निर्माण के आरोप में गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी से पहले की गई एमएलसी जांच में उन्हें "सामान्य" बताया गया, लेकिन 10 जून को तबीयत बिगड़ने पर उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहाँ 13 जून को उनकी मौत हो गई।
पत्नी ने लगाया हत्या का आरोप
मृतक की पत्नी शकुन्तला बघेल ने आरोप लगाया कि “मेरे पति शराब पीते जरूर थे, लेकिन किसी अवैध धंधे से उनका कोई संबंध नहीं था। पुलिस ने झूठे आरोप में फंसाकर जेल में पीटा, जिससे उनकी मौत हो गई।” उन्होंने परिवार को मुआवज़ा और बच्चों के लिए सरकारी सहायता की मांग की है।
ग्राम खैरी: हर बार पुलिस का पहला निशाना क्यों?
स्थानीय लोगों ने बताया कि जब भी नया थाना प्रभारी आता है, उसकी पहली बड़ी कार्रवाई ग्राम खैरी में ही होती है। सवाल ये है कि क्या खैरी को जानबूझकर टारगेट किया जाता है? प्रशासन की ओर से इस पर कोई स्पष्ट जवाब अब तक नहीं आया।
MLC रिपोर्ट पर गंभीर संदेह
मेडिको-लीगल (MLC) रिपोर्ट में उमेंद्र को ‘सामान्य’ बताया गया था। ऐसे में सवाल यह उठता है:
कुछ ही दिनों में तबीयत इतनी कैसे बिगड़ी?
क्या एमएलसी सिर्फ खानापूर्ति थी?
क्या जेल में कोई अमानवीय स्थिति थी जो रिपोर्ट में नहीं दर्शाई गई?
विधायक ने की निष्पक्ष जांच की मांग
क्षेत्रीय विधायक संदीप साहू ने कहा, “यह घटना अत्यंत दुखद है। पुलिस, जेल और मेडिकल विभाग – तीनों की जवाबदेही तय होनी चाहिए। यदि कोई दोषी है, तो उस पर सख्त कार्रवाई हो।”
न्यायिक निगरानी में पोस्टमार्टम
कैदी की मौत के बाद शव का पंचनामा और पोस्टमार्टम न्यायाधीश की उपस्थिति में कराया गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतज़ार है, जो मौत के कारण पर अंतिम मुहर लगाएगी।
प्रशासन के जवाब का इंतजार
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अभिषेक सिंह ने बताया कि मृतक को 8 जून को शराब निर्माण के आरोप में पकड़ा गया था। 10 जून को तबीयत बिगड़ी, 13 को मौत हुई। अब पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।
निष्कर्ष
उमेंद्र बघेल की मौत सिर्फ एक मौत नहीं, पुलिसिया कार्रवाई, मेडिकल प्रक्रिया और प्रशासनिक जवाबदेही – तीनों पर गहरा सवाल है। अब देखना होगा कि सिस्टम इन सवालों का जवाब पारदर्शिता से देता है या चुप्पी साधे रखता है।