कार्य मे लापरवाहीं करने पर एक डॉक्टर को बर्खास्त दूसरा डॉक्टर निलंबन
मामला 30 व 1 तारीख को है जहां पर अलग-अलग घटनाओं में दो शिशु की मृत्यु हुई थी
दोपहर के 1:00 से लेकर 8:00 बजे तक चली थी जांच समिति के द्वारा जांच की कार्यवाही
सूत्रों से पता चला है कि डॉक्टरों के द्वारा गाइड लाइंस एवम सारे नियमों के आधार पर ही इलाज किया गया था किसी भी मरीज को जबरदस्ती हॉस्पिटल से भगाया नहीं जा सकता इसलिए डॉक्टर्स के द्वारा मरीज से रिटर्न में लेटर लिखा लिया गया था*
रायपुर:- मामला राजधानी रायपुर का है जहां पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र उलरा में दोनों शिशुओं की मृत्यु के बाद प्रभारी अधिकारी डॉक्टर सुनील साहू को लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग मंत्रालय महानदी भवन से आदेश क्रमांक,6/21/2024/सतरह/को के द्वारा दिनांक 2,7, 2024 मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी रायपुर से प्राप्त जांच प्रतिवेदन के अनुसार डॉक्टर सुनील साहू प्रभारी चिकित्सा अधिकारी के द्वारा उक्त मामला में घोर लापरवाही एवं कर्तव्यों के प्रति उदासीनता का परिचय दिया गया है । डॉक्टर साहू का उक्त कृत्य छत्तीसगढ़ सिविल सेवा ( आचरण) नियम 1965 के नियम 3 का स्पष्ट उल्लंघन है । अतएव राज्य शासन द्वारा डॉक्टर सुनील साहू को छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण नियंत्रण तथा अपील) 9165 के नियम 9 (1) (क) के तहत तत्काल प्रभाव से निलंबित करता है ।निलंबन अवधि में डॉक्टर सुनील साहू का मुख्यालय कार्यालय संभागीय आयुक्त संचालक स्वास्थ्य सेवाये रायपुर निर्धारित किया जाता है ।तथा वे सक्षम अधिकारी के अनुमति एवं पूर्ण स्वीकृति के बिना मुख्यालय नहीं छोड़ेंगे की भी बात कही गई है।वही निलंबन अवधि मे डॉक्टर सुनील साहू को मूलभूत नियम 53 के अनुसार जीवन निर्वाह भत्ते की पात्रता रहेगी।इस प्रकार की आदेश मुख्य चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी के जांच टीम मे, डॉक्टर प्रीति नारायणी , डॉक्टर मेश्राम सर, और डॉक्टर श्वेता सोनवानी के द्वारा जानकारी प्रस्तुत करने पर मंत्रालय से आदेश जारी किया गया है । जिसकी जानकारी लेने पर
प्राप्त जानकारी के अनुसार दो अलग-अलग घटना में अलग-अलग दिन शिशु बच्चे की मृत्यु हुई है ,1,7,2024 रात के समय जिसमें प्रथम बच्चें की मृत्यु से पहले उनके परिवार वालों को उसकी स्थिति से अवगत करा दिया गया था और प्राप्त जानकारी के अनुसार इसे पहले ही रेफर कर दिया गया था, क्योंकि यह पेशेंट मेकाहारा, जिला अस्पताल एवम कालीबाड़ी में भी हाई रिस्क डिलीवरी होने के कारण ऑपरेशन कराने की सलाह दी गई थी फिर भी वह अपने वापस अपने घर आ गया थे ऐसा जानकारी प्राप्त हुई है,। घर आने के बाद अचानक डिलीवरी के समय आ जाने के कारण दर्द होने पर नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र उरला ले जाया गया जहां पर डॉक्टरों ने उनकी स्थिति परस्थिति को पहले से ही अवगत करा दिया गया था जिसमें परिजनों के द्वारा कुछ भी अनहोनी होती है तो उसकी जवाबदारी हमारी होगी ऐसा लिख कर दिया गया है । प्राप्त जानकारी के अनुसार डिलीवरी के समय सिर्फ उनके घर वाले महिला लोग ही थे जो की जाने का नाम नहीं दे रहे थे इसलिए जबरदस्ती डॉक्टर को इस प्रकार का कदम उठाना पड़ा वही डॉक्टर ने कहा कि हम पेशेंट को जबरदस्ती नहीं भेज सकते थे इसीलिए इस प्रकार एक नियम के तहत उनसे रिटर्न में लिखवाकर इलाज किया गया
अब सोचने वाली बात यह है कि जांच टीम के द्वारा क्या जांच प्रस्तुत किया गया है ,क्या इन बातों को नहीं रखा गया होगा यह सोचेे वाली बात है, और इसी प्रकार दिनांक 2,7 2024 को एक और डिलीवरी पेशेंट आया गया था जिसमें इलाज के दौरान कुछ परेशानियां आई थी जिसमें ड्यूटी में उपस्थित मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर पूनम सरकार के द्वारा डिलीवरी करने का प्रयास किया गया था जिसमें ड्यूटी में उपस्थित डॉक्टर के द्वारा अन्य स्टाफ नर्स की सहायता ना लेने की भी बात सामने आई है। लेकिन स्टाफ नर्स ने अपनी पूर्ण सहयोग भी किया ऐसे बातें भी है, प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रभारी डॉक्टर सुनील साहू के आने के बाद वर्तमान में ड्यूटी में कार्यरत डॉक्टर पूनम सरकार थी जो की प्रभारी डॉक्टर के आने के बाद तुरंत पेशेंट की कोई हिस्ट्री बताएं बिना ही चली गई किसी को कुछ कारण भी नहीं बताई ऐसा जानकारी मिला है। क्योंकि डॉक्टर के द्वारा स्टाफ के साथ आपसी मतभेद का मामला भी सामने आ रहा है जिसकी सूचना पूर्व में ही हॉस्पिटल स्टॉफ के द्वारा लिखित रूप में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी रायपुर को दिनांक ही7,6,2024 ही दे दिया गया था जिसमें लिखा गया था कि डॉक्टर पूनम सरकार के द्वारा समस्त कर्मचारी के साथ आपसी समाजस्य स्थापित नहीं हो पा रहा है जिसमें मितानिन ,मरिज, स्वस्थ्थ्य कर्मचारी के साथ-साथ मरीजों के परिजनों के साथ उनका व्यवहार ठीक नहीं है जिससे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के कार्यों की गुणवत्ता में गिरावट आ रही है , डॉक्टर पूनम सरकार के द्वारा शासन के किसी भी प्रकार से गाइडलाइंस का पालन नहीं किया जा रहा है जिससे मरीज लगातार शिकायत कर रहे हैं कि डॉक्टर का व्यवहार ठीक नहीं है जिससे सभी को काम करने में परेशानी हो रही है अतः उचित कार्यवाही के लिए आवेदन दे दिया गया था इस प्रकार की जानकारी प्राप्त हुई है।अगर इस प्रकार की शिकायतो को तुरंत संज्ञान में लेते हुए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के द्वारा कार्यवाही डॉक्टर पूनम सरकार पर किया गया होता तो शायद यह घटना ही ना होती। इस प्रकार की शिकायतों को तत्परता से लेते हुए कोई प्रकार की कार्यवाही की होती ,,,,जिसमें लेटर को स्पष्ट रूप से पढ़ने पर यह भी पता चला है कि 3,7,2024 को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र उरला जिला रायपुर के स्थान पर बिलासपुर अंकित किया गया है जिसे कोई भी अधिकारी अभी तक सुधारे तक नहीं है, इस लेटर से भी पता चलता है कि कितने जल्दी और आनंन फानंन में इस प्रकार का आदेश जारी किया होगा यह सोचने वाली बात है । वही बात करते हैं डॉक्टर पूनम सरकार की तो बर्खास्त की लेटर जारी होने के बाद भी दूसरे दिन ड्यूटी पर करते पाया गया था जिसमें मरीज को भी जांच किया गया है जिसे आईबीसी 24 के द्वारा प्रखरता से दिखाएा गया था इससे स्पष्ट होता है कि डॉक्टर पूनम सरकार किस प्रकार लापरवाही पूर्वक ड्यूटी करती थी। इसकी विस्तृत जानकारी और लेने के बाद अगले अंक में प्रसारित किया जाएगा।