असली बोतल में नकली शराब का खेल जोरो पर
सृजन भूमि छत्तीसगढ़ दैनिक अख़बार खबरे सच की जड़ तक
कहाँ है प्रशासन के त्रिनेत्र पुलिस आबकारी और साइब
बलौदाबाजार - पूर्व में शराब तस्करी के मामले में हो सकता है बलौदाबाजार जिला शीर्ष पर रही हो लेकिन अब नकली और अवैध शराब बिक्री का भी अड्ढ़ा बनता दिखाई पड़ रहा है। हालत ये है जिले के थाना इलाकों में जहां शराब तस्करी हो रही है। वहीं छोटे-मोटे ढाबों एवं रेस्टोरेंटों पर खुलेआम नकली एवं अवैध शराब बिक्री का कारोबार चरम पर है। इसके बावजूद इस ओर ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। हालांकि बीते महीने पूर्व मे पुलिस एवं आबकारी विभाग की ओर से अवैध शराब के खिलाफ कार्रवाईयां की गई हैं, लेकिन यह कार्रवाईयां छोटे स्तर पर ही सीमित होकर रह गई हैं। पुलिस एवं आबकारी विभाग के हाथ बड़े शराब तस्कर एवं नकली अवैध शराब बेचने वालों तक नहीं पहुंच रहे हैं। इससे शराब का बड़े पैमाने पर खेल थमने का नाम नहीं ले रहा है।
*प्रतिबंधित शराब की खेप हर दिन*
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार जिले में प्रतिबंधि नकली स्प्रिट निर्मित शराब देशी मशाला एवं प्लेन की खेपें दिनो दिन बलौदाबाजार भाटापारा पहुंचती हैं, फिर यहां से पुरे जिले के विभिन्न क्षेत्रो को सप्लाई की जाती हैं। जिसका जिला प्रवेश से लेकर अवैध कोचिंयो तक सुरक्षित पहुंचाने का पूरा जिम्मा थानो मे पदस्थ कुछ पुलिसकर्मीयों का है । यहाँ कई बार मध्यप्रदेश की खेपें भी बरामद हुई हैं। लेकिन इनकी जांचें पुलिस एवं आबकारी विभाग की फायलों में ही दफन होकर रह गई हैं। जबकि इस तरह के प्रकरणों की भरमार है।
नकली शराब की पुष्ठि हाल ही मे सुहेला सिटी कोतवाली करहीबाजार चौकी,लवन थाना, गिधपुरी थाना,पलारी थाने आदि क्षेत्रो मे देखने कों मिल रही है। नकली शराब के खपत प्रतिदिन करीब 200 पेटी है जो कि बाजार मूल्य 15 लाख मानी जा रही है एक छोटा आकड़ा लगाए तो एक सप्ताह मे करीब 1करोड़ की अवैध व्यापार महज 5-6 थानो मे हो रही है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार औपचारिकता स्वरुप किये गए कुछ कारवाहियों में नकली शराब को भट्टी के वैध शराब घोषित कर कार्यवाही को खानापूर्ति करते हुए शून्य कर दी जाती है।
*केमिकल के इस्तेमाल से बनाये जा रहे है नकली शराब*
सूत्रानुसार नकली शराब का जखीरा बिलासपुर से आने की खबर है जहाँ से हूबहू असली ब्रांड जैसी शक्ल देकर जिले के कई थानो क्षेत्रों में इनकी सप्लाई कर रहे है और कई गुना अधिक मुनाफा कमाकर शराब का रैकेट चला रहे है । वे शराब की खाली बोतलों को साफ करके उन पर ओरिजिनल लेबल की कॉपी लगाई जा रही है जो देखने में बिल्कुल असली लगती है। इसके बाद इनमें नकली शराब भरक़र बड़ी मात्रा में खुलेआम सप्लाई की जा रही है ।
*आबकारी विभाग तस्करी रोकने में फिसड्डी*
आबकारी विभाग शराब तस्करी रोकने में नाकाम साबित हुआ है। इस साल उसके पास कोई ऐसी बड़ी कामयाबी नहीं है, जिसे उपलब्धि के तौर पर गिना सके। कच्ची शराब के विरुद्ध चले अभियान भी खानापूर्ति तक सिमट गए।
*क्या कहते है नकली शराब को ले स्वास्थ्य अमला*
वरिष्ठ फिजीशियन बताते है कि जहरीली शराब पीने से मौत हो जाती है या व्यक्ति अंधा हो जाता है। जब जहरीली शराब शरीर में जाती है, इसके अंदर मौजूद एल्किल ग्रुप एल्डिहाइड में बदल जाता है और इससे शरीर के अंदर एक फार्मेल्डिहाइड या फार्मिक एसिड बनता है, जो सीधा दिमाग पर असर करता है। यह बहुत अधिक नुकसानदेह होता है।
*लोग करते रहते हैं शिकायत*
नकली शराब मिलने की शिकायत कोई नयी नहीं है। लोग इस तरह की शिकायत करते रहे हैं कि जिले में नकली शराब धड़ल्ले से बिक रही है।लेकिन आजतक इस मामले में ना तो कभी गंभीरता से कोई जांच हुई और ना ही कार्रवाई के लिए ठोस कदम उठाए गए। जिला प्रशासन द्वारा इस पर किसी तरह की प्रतिबंधात्मक कार्रवाई न होने से लोग भ्रमवश नकली शराब का सेवन क़र अपनी जिंदगी दाव पर लगा रहें है।
*उड़ती खबर*
हिंदी के एक प्रसिद्ध कहावत जो इस मामले मे सटीक बैठता है और यह लाइन शराब कोचिंयो के संरक्षणकारीयों के लिए चरितार्थ करता प्रतीत होता नजर आ रहा है *सईया भई कोतवाल तो डर काहे का* यह कहावत पुलिस विभाग का नकली शराब तस्करों के साथ साठगांठ कों दर्शाती है जिसका प्रमाण के रूप में शराब कोचिया के एक साथी द्वारा नाम सार्वजनिक नहीं करने के शर्त पर बताया गया कि नकली शराब ऐसे ही नहीं चल रही है इसे चलाने के लिए क़ानून के लम्बे हाथ का पूरा पूरा एवं बैलगाड़ी के पहिये की तरह बराबर समांतर सहयोग होती है जिसके लिए बराबर राशि थानो मे दी जाती है तथा साइबर थाना सहित छह थानो मे 6 लाख रूपए अपनी अपनी हिस्सेदारी बाट ली जाती है इन सब थानो मे कैश कलेक्शन के लिए एक पुलिस कर्मी को अघोषित सुपरवाइज़र नियुक्त किया गया है जो दाम के हिसाब से नकली दारू के पायलेटिंग कर अंजाम देते है।
खैर इसकी पुष्टि हमारे समाचार पत्र द्वारा नही किया जा रहा है। अगर ऐसी कुछ बात हो तो जांच का विषय होना चाहिए।
पूर्व मे भी इस प्रकार के मामले के खबर प्रकाशन को संज्ञान मे लेते हुए तत्कालीन पुलिस अधीक्षक दीपक झा द्वारा बड़े स्तर मे पलारी थाना के नेतृत्व मे 27 पेटी नकली शराब पर कार्यवाही की गयी कोचिंया के कमर तोड़ने का काम किया गया था अब देखने वाली बात होंगी कि क्या अब पुलिस प्रशासन द्वारा बड़े कार्यवाही करते हुए लोगो के स्वास्थ्य और सरकार के राजस्व क्षति को किस प्रकार से पूरा करती है।